Tuesday, August 9, 2011

Dhuaan dhuaan zindagi dhundhli

धुएं  में  उड़ा  के  ज़िन्दगी , कुछ  हलकी  जो  महसूस  हुई  हो ,
कभी  अचानक  पड़  जाएगी  भारी
आपकी  यह  शान ओ शौकत , समझदारी
एक  कश  में  यह  हवा  कितनी  भी  मदहोश  हुई  हो,
पड़  जाएगी  भारी  होशोहवास  से  ये  गद्दारी

Monday, August 8, 2011

tere mere beech mein

हमेशा  साथ  रहने  वालों  को  भी,
एक  आखिरी  मुलाक़ात  की  ज़रूरत  क्यूँ  है ...
साथ  जी  लें, पर  साथ  मरने  की  शर्त  क्यूँ  है!
ज़िन्दगी जो आज है बस वही है
जी  लें, फिकर  की फितरत  क्यूँ है...
भीड़  में  तनहा  होना  कुछ  ख़ास  नहीं  आजकल 
तनहा  भी 'मैं ', 'हम ' हो  जाएँ,
ज़िन्दगी कुछ यूँ  है...
मत  सोच  की ज़िन्दगी का  यह  गीत  अधूरा  क्यूँ  है ...........

Monday, July 18, 2011

The Inside Story

खौफनाक  मंज़र  जो  देख  या  सुन  मौत  के 
रियासत  से  सियासत  तक , दिल  तो  सबके  दहल  गए
कह  लो  बुरा  चाहे  जितना , या  बुलवा  लो  बेबुनियाद  इल्जामों  की  बैठके 
उस  अन्दर  के  अपने  शैतान  को  कभी  जो  देख  पाए  होगे